Wednesday, July 16, 2008

हरियाणवी मखौल - मुँह दुक्खै स‌ै

हरियाणवी मखौल - मुँह दुक्खै स‌ै
एक बै फत्तू खेत म्ह रेडियो स‌ुणे था। रेडियो पै एक लुगाई बताण लाग री थी, बंबई मै बाढ़ आ गी, गुजरात मै हालण आग्या, दिल्ली म्ह... फत्तू नै देख्या पाच्छै नाका टूट्या पड़्या स‌ै, अर बाणी दूसरे के खेत म्ह जाण लाग रहया स‌ै। फत्तू छोंह म्ह आकै रेड़ियो कै दो लट्ठ मारकै बोल्या - दूर-दूर की बताण लाग री स‌ै, लवै नाका टूट्या पड़या स‌ै, यो बतांदे होए तेरा मुँह दुक्खै स‌ै।

सबकी कब्र खोद द्‌यूंगा

सबकी कब्र खोद द्‌यूंगा
ल्यो जी या दकान खोले तो मीन्ने होग्ये अर म्‌हूरत कर्‌या कोनी। इस्सै खातर आज दकान का म्‌हूरत कर्‌या सूं, देक्खां किसी बोणी होवै सै।

घुग्घू कब्र खोदण का काम कर्‌या करदा था। एक बर इसा होया अक गाम म्ह दो-तीन साल बरसात कोनी होई तो धरती करड़ी होग्यी अर घुग्घू नै कब्र खोददी हाण घणा जोर लगाणा पड़दा। एक दिन गाम म्ह खूब बरसात होई तो घुग्घू सरपंच धौरे गया अर बोल्या, सरपंच साब गाम म्ह रुक्का मरवा द्‌यो अक सारे गाम आले आकै अपणी कब्र का माप दे जावैं, इब धरती नरम होरी सै सबकी कब्र खोद द्‌यूंगा।